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सत्यम् शिवम् सुन्दरम्

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ।।

Sunday, October 10, 2010

आरती भगवान शिव की -05


अभयदान दीजै दयालु प्रभु, सकल सृष्टि के हितकारी।
भोलेनाथ भक्त-दु:खगंजन
, भवभंजन शुभ सुखकारी॥
दीनदयालु कृपालु कालरिपु
, अलखनिरंजन शिव योगी।
मंगल रूप अनूप छबीले
, अखिल भुवन के तुम भोगी॥
वाम अंग अति रंगरस-भीने
, उमा वदन की छवि न्यारी। भोलेनाथ
असुर निकंदन
, सब दु:खभंजन, वेद बखाने जग जाने।
रुण्डमाल
, गल व्याल, भाल-शशि, नीलकण्ठ शोभा साने॥
गंगाधर
, त्रिसूलधर, विषधर, बाघम्बर, गिरिचारी। भोलेनाथ ..
यह भवसागर अति अगाध है पार उतर कैसे बूझे।

ग्राह मगर बहु कच्छप छाये
, मार्ग कहो कैसे सूझे॥
नाम तुम्हारा नौका निर्मल
, तुम केवट शिव अधिकारी। भोलेनाथ ..
मैं जानूँ तुम सद्गुणसागर
, अवगुण मेरे सब हरियो।
किंकर की विनती सुन स्वामी
, सब अपराध क्षमा करियो॥
तुम तो सकल विश्व के स्वामी
, मैं हूं प्राणी संसारी। भोलेनाथ ..
काम
, क्रोध, लोभ अति दारुण इनसे मेरो वश नाहीं।
द्रोह
, मोह, मद संग न छोडै आन देत नहिं तुम तांई॥
क्षुधा-तृषा नित लगी रहत है
, बढी विषय तृष्णा भारी। भोलेनाथ ..
तुम ही शिवजी कर्ता-हर्ता
, तुम ही जग के रखवारे।
तुम ही गगन मगन पुनि पृथ्वी पर्वतपुत्री प्यारे॥

तुम ही पवन हुताशन शिवजी
, तुम ही रवि-शशि तमहारी। भोलेनाथ
पशुपति अजर
, अमर, अमरेश्वर योगेश्वर शिव गोस्वामी।
वृषभारूढ
, गूढ गुरु गिरिपति, गिरिजावल्लभ निष्कामी।
सुषमासागर रूप उजागर
, गावत हैं सब नरनारी। भोलेनाथ ..
महादेव देवों के अधिपति
, फणिपति-भूषण अति साजै।
दीप्त ललाट लाल दोउ लोचन
, आनत ही दु:ख भाजै।
परम प्रसिद्ध
, पुनीत, पुरातन, महिमा त्रिभुवन-विस्तारी। भोलेनाथ ..
ब्रह्मा
, विष्णु, महेश, शेष मुनि नारद आदि करत सेवा।
सबकी इच्छा पूरन करते
, नाथ सनातन हर देवा॥
भक्ति
, मुक्ति के दाता शंकर, नित्य-निरंतर सुखकारी। भोलेनाथ ..
महिमा इष्ट महेश्वर को जो सीखे
, सुने, नित्य गावै।
अष्टसिद्धि-नवनिधि-सुख-सम्पत्ति स्वामीभक्ति मुक्ति पावै॥

श्रीअहिभूषण प्रसन्न होकर कृपा कीजिये त्रिपुरारी। भोलेनाथ ..

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