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सत्यम् शिवम् सुन्दरम्

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ।।

Thursday, May 19, 2011

भारत एक खोज


नासदासीन्नोसदासीत्तादानीं नासीद्रजो नो व्योमापरो यत |
किमावरीव: कुहकस्यशर्मन्नम्भ: किमासीद्गहनं गभीरं
||

सृष्टि से पहले सत नहीं था
असत भी नहीं


अंतरिक्ष भी नहीं
, आकाश भी नहीं था...
छिपा था क्या
,कहां,किसने ढका था....
उस पल तो आगम
,अटल जल भी कहां था...

सृष्टीका कौन है कर्ता
?...
कर्ता है वा अकर्ता
?
ऊंचे आकाशमे रहता...

सदा अध्यक्ष बना रहता...

वोही सच मुचमे जानता

या नही भी जानता...

है किसीको नही पता....

नही पता
,
नही है पता
, नही है पता ......
हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेकासीत ।
स दाधार पृथ्वीं ध्यामुतेमां कस्मै देवायहविषा विधेम ॥


वो था हिरण्यगर्भ सृष्टीसे पहले विद्यमान...

वोही तो सारे भूत जातीका स्वामी महान...

जो है अस्तित्वमान धरती आसमान धारण कर....

ऐसे किस देवता की उपासना करे हम हवि देकर
?

जिसके बलपर तेजोमय है अम्बर

पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर....

स्वर्ग और सूरज भी स्थिर....

ऐसे किस देवता की उपासना करे हम हवि देकर
?

गर्भमे अपने अग्नि धारण कर पैदा कर...

व्याप था जल इधर
, उधर ,नीचे, उपर
जागा
जो देवोंका एकमेव प्राण बनकर..
ऐसे किस देवता की उपासना करे हम हवि देकर
?

ओम! सृष्टी निर्माता स्वर्ग रचैता
, पूर्वज रक्षा कर...
सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर...

फैली है दिशायें बाहों जैसी
, उसकी सबमे, सबपर..

ऐसे ही देवता की उपासना करे हम हवि देकर..

ऐसे ही देवता की उपासना करे हम हवि देकर...

Symbolism of Shiv Ling (or Shiva Linga) in Hinduism : शिवलिंग का रहस्य

ShivShakti Ekatm Rahasya